समः अहम् सर्व भूतेषु न मे द्वेष्यः अस्ति न प्रियः
ये भजन्ति तु माम् भक्त्या मयि ते तेषु च अपि अहम्

समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः ।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् ॥९:२९॥

samo'ham sarvabhooteshu na me dweshyo'sti na priyah
ye bhajanti tu maam bhaktyaa mayi te teshu chaapyaham ||9:29||

samah aham sarva-bhutesu na me dvesyah asti na priyah
ye bhajanti tu maam bhaktyaa mayi te teshu cha api aham

Purport I am equal to all manifested beings, there is not I dislike and not I favor. But to those who worship me with devotion in me, even I am in them also.

समः (samah) -- equal
अहम् (aham) -- I
सर्व (sarva)-- all
भूतेषु (bhooeshu) -- beings
न (na) -- not
मे (me) -- for/to/of me; my
द्वेष्यः (dweshyah) -- to be hated or disliked
अस्ति (asti) -- there is
न (na) -- not
प्रियः (priyah)-- dear; favorite
ये (ye) -- who
भजन्ति (bhajanti) -- worship; revere
तु (tu) -- but
माम् (maam) -- me
भक्त्या (bhaktyaa) -- with devotion
मयि (mayi) -- in me
ते (te) -- they
तेषु (teshu) -- in them
च (cha) -- also
अपि (api) -- even
अहम् (aham) -- I