यः माम् पश्यति सर्वत्र सर्वम् च मयि पश्यति
तस्य अहम् न प्रणश्यामि स: च मे न प्रणश्यति
यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति ।
तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति ॥६:३०॥
yo maam pashyati sarvatra sarvam cha mayi pashyati
tasyaaham na pranashyami sa cha me na pranashyati ||6:30||
yah mam pasyati sarvatra sarvam ca mayi pasyati
tasya aham na pranashyaami sah cha me na pranashyati
Purport He who sees me everywhere also sees everything in me. I do not disappear for him, and neither does he disappear for me.
माम् (maam) -- me
पश्यति (pashyati) -- sees
सर्वत्र (sarvatra) -- everywhere
सर्वम् (sarvam) -- all; everything
च (cha) -- also
मयि (mayi) -- in me
पश्यति (pashyati) -- sees
अहम् (aham) -- I
न (na) -- not
प्रणश्यामि (pranashyaami) -- I disappear; I flee
स: (sah) -- he
च (cha) -- also; and
मे (me) -- of me; my
न (na) -- not
प्रणश्यति (pranashyati) -- disappear; flee