न मे पार्थ अस्ति कर्तव्यम् त्रिषु लोकेषु किञ्चन
न अनवाप्तम् अवाप्तव्यम् वर्ते एव च कर्मणि
न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन ।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥३:२२॥
na me paarthaasti kartavyam trishu lokeshu kinchana
naanavaaptamavaaptavyam varta eva cha karmani ||3:22||
na me paartha asti kartavyam trishu lokeshu kinchana
na anavaaptam avaaptavyam varte eva cha karmani
Purport There is not any obligation for me, O Paartha (Arjun), in the three worlds. Also, I have nothing to obtain or there is really anything unobtainable to me, but I am always in action.
मे (me) -- for me; to me
पार्थ (paartha) -- Paartha (aka Arjun)
अस्ति (asti) -- there is
कर्तव्यम् (kartavyam) -- duty; obligation
त्रिषु (trisu) -- in the three
लोकेषु (lokeshu) -- worlds
किञ्चन (kinchana) -- anything
अनवाप्तम् (anavaaptam) -- not obtained
अवाप्तव्यम् (avaptavyam) -- to be obtained; obtainable
वर्ते (varte) -- I am
एव (eva) -- really
च (cha) -- also
कर्मणि (karmani) -- connected with or being in actions