राजन् संस्मृत्य संस्मृत्य संवादम् इमम् अद्भुतम्
केशव अर्जुनयोः पुण्यम् हृष्यामि च मुहुः मुहुः
राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम् ।
केशवार्जुनयो: पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः ॥१८:७६॥
raajansamsmritya samsmritya samvaadamimamadbhutam
keshavaarjunayoh punyam hrishyaami cha muhurmuhuh ||18:76||
raajan samsmritya samsmritya samvaadam imam adbhutam
keshava arjunayoh punyam hrishyaami cha muhuh muhuh
Purport O king, repeatedly remembering this wonderful and pious conversation of Keshav (Krishna) and Arjun, I am thrilled again and agian.
संस्मृत्य (samsmritya) -- remembering
संस्मृत्य (samsmritya) -- remembering (repeatedly)
संवादम् (samvaadam) -- conversation
इमम् (imam) -- this
अद्भुतम् (adbhutam) -- wonderful; ahtonishing
अर्जुनयोः (arjunayoh) -- of Arjun
पुण्यम् (punyam) -- sacred; pious
हृष्यामि (hrishyaami) -- I rejoice; I exult; I am thrilled
च (cha) -- also; and
मुहुः (muhuh) -- again
मुहुः (muhuh) -- and again